देह में काम करके ही परमेश्वर इंसान को हासिल कर सकता है
व्यवहारिक परमेश्वर के वचनों से,
इंसान की कमज़ोरियों और विद्रोह का फैसला और प्रकाशन होता है।
इंसान को जो चाहिये उसे मिलता है।
परमेश्वर आया है इंसानी दुनिया में, वो देखता है।
लक्ष्य है व्यवहारिक परमेश्वर के काम का,
शैतान के असर से, पंक से, हर एक को बचाना,
दूषित किया शैतान ने जिसे उन्हें उस स्वभाव से छुड़ाना।
परमेश्वर के हासिल करने के मायने हैं,
इंसान के पूर्ण आदर्श की तरह, उसकी मिसाल का अनुकरण करना।
व्यवहारिक परमेश्वर के पीछे चलो, सामान्य मानवता जियो,
उसके वचन और अपेक्षा पूरी करो, वो जो कहे मानो,
वो जो कहे पूरा करो, तब परमेश्वर तुम्हें हासिल कर लेगा।
परमेश्वर देह में आया, ताकि देख सके इंसान उसके काम को।
देह धारण किया उसके आत्मा ने, ताकि छू सके इंसान परमेश्वर को,
एकटक निहार सके, और जान सके परमेश्वर को।
इस व्यवहारिक रूप से ही, परमेश्वर पूर्ण करता है इंसान को।
जो बिता सकते हैं अपनी ज़िंदगी परमेश्वर के मुताबिक,
और चल सकते हैं उसके दिल के मुताबिक,
ऐसे ही लोगों को परमेश्वर हासिल कर लेता है।
परमेश्वर के हासिल करने के मायने हैं,
इंसान के पूर्ण आदर्श की तरह, उसकी मिसाल का अनुकरण करना।
व्यवहारिक परमेश्वर के पीछे चलो, सामान्य मानवता जियो,
उसके वचन और अपेक्षा पूरी करो, वो जो कहे मानो,
वो जो कहे पूरा करो, तब परमेश्वर तुम्हें हासिल कर लेगा।
अगर परमेश्वर धरती पर न आकर, आसमां से बोलता,
किस तरह इंसान फिर, भगवान को जानता?
तब उसके वचन केवल काम बतलाने को होते,
मगर उसके वचनों के सत्य को न पायेंगे।
परमेश्वर आता है आदर्श बनकर, ताकि देख सके, छू सके इंसान उसको,
और परमेश्वर हासिल कर सके उसको।
परमेश्वर के हासिल करने के मायने हैं,
इंसान के पूर्ण आदर्श की तरह, उसकी मिसाल का अनुकरण करना।
व्यवहारिक परमेश्वर के पीछे चलो, सामान्य मानवता जियो,
उसके वचन और अपेक्षा पूरी करो, वो जो कहे मानो,
वो जो कहे पूरा करो, तब परमेश्वर तुम्हें हासिल कर लेगा।
"वचन देह में प्रकट होता है" से