परमेश्वर ने रची दुनिया और ये मानवता।
वह था पुराने यूनानी और इंसानी सभ्यता का रचयिता।
केवल परमेश्वर देता इंसान को दिलासा।
बस वही दिन और रात करता मानवता की चिंता।
इंसान का विकास और प्रगति नहीं हो सकती अलग प्रभु की सत्ता से।
उसका इतिहास और भविष्य है गुंथा हुआ परमेश्वर के इरादों में।
अगर तुम हो सच्चे ईसाई,
तो करोगे इस पर विश्वास निश्चय ही,
कि किसी वतन का उठना और गिरना,
होता है प्रभु के इरादों से ही।
बस परमेश्वर ही जानता है किस्मत वतन की।
सिर्फ वो ही जानता है मानवता किस ओर जायेगी।
वतन या इंसान, गर चाहे खुशकिस्मती,
सर झुकाकर करनी होगी परमेश्वर की भक्ति,
सर झुकाकर करनी होगी परमेश्वर की भक्ति।
परमेश्वर के आगे गर जो इंसान न पछतायेगा,
उसकी मंजिल और किस्मत का अंजाम होगा बस बर्बादी।
"वचन देह में प्रकट होता है" से