अंतिम दिनों में परमेश्वर देह बन जाता है।
अंतिम दिनों में परमेश्वर देह बन जाता है।
वो सब पूरा करता है, वो सब पूरा करता है अधिकतर अपने वचन से।
वो सबकुछ प्रत्यक्ष करता है अपने वचन से।
केवल उसके वचन में तुम देख सकते हो, वो जो है और ये कि वो परमेश्वर है।
अंतिम दिनों में परमेश्वर,
देहधारी परमेश्वर आता है धरती पर,
कहने अपना वचन केवल, ना किसी और काम से।
न देता है कोई संकेत, परमेश्वर, क्योंकि है उसका वचन काफ़ी।
क्योंकि है उसका वचन काफ़ी।
वचन से ही मानव को परमेश्वर के काम का ज्ञान होता है,
प्रभु के स्वभाव का और इंसान के सार का भान होता है,
और जान पाते हैं कि जाना है कहां इंसान को।
वचन से ही वचन के युग में,
वो सारे काम होते हैं जो चाहता है परमेश्वर करना,
प्रकाशित और निर्मल होता मानव और उसका इम्तहां होता।
मानव ने वचन देखा और सुना है,
और वचन के वजूद को जाना है,
तो वो प्रभु के होने में, सर्व-शक्ति में, ज्ञान में विश्वास करता है।
और वो प्रभु के हृदय में भी विश्वास करता है
जो मानव से प्रेम करता और उसे बचाना चाहता है।
जो मानव से प्रेम करता और उसे बचाना चाहता है।
जब परमेश्वर के वचन प्रत्यक्ष होते हैं,
प्रत्यक्ष होता है अधिकार और शक्ति,
बहुत पहले से अब तक प्रभु ने जो कहा है, वो तो अब होकर रहेगा,
और एक एक करके पूरा होगा।
इस तरह महिमा धरती पर प्रभु की ओर आयेगी, प्रभु की ओर आयेगी,
जहां परमेश्वर के वचनों का परम अधिकार होगा।
प्रभु-मुख के वचन से,
सभी दुर्जनों को ताड़ना मिलती है और सभी धर्मियों को आशीष मिलती है।
प्रभु-मुख के वचन से होता है सबकुछ प्रमाणित और पूरा।
बिना किये कोई कौतुक, परमेश्वर वचनों से ही करता है सब पूरा,
वचन से ही वो सबकुछ सच बना देता है।
राज्य के युग में, परमेश्वर अपने वचन से काम करता है।
वचन से ही वो अपने काम में परिणाम लाता है,
ना करामात कोई, ना कोई चमत्कार;
वो केवल वचन से ही काम करता है।
वो केवल वचन से ही काम करता है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से